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Showing posts from October 21, 2017

गणेशशंकर विद्यार्थी की जयंती पर विशेष कहानी "धर्म की आड़"

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इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्‍पात किये जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर और जिद की जाती है, तो धर्म और ईमान के नाम पर। रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और ईमान को जानें, या न जानें, परंतु उसके नाम पर उबल पड़ते हैं और जान लेने और जान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। देश के सभी शहरों का यही हाल है। उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बुझता और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं उधर जुत जाता है। यथार्थ दोष है, कुछ चलते-पुरजे, पढ़े-लिखे लोगों का जो मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्‍साह का दुरुपयोग इसलिए कर रहे हैं कि इस प्रकार, जाहिलों के बल के आधार पर उनका नेतृत्‍व और बड़प्‍पन कायम रहे। इसके लिए धर्म और ईमान की बुराइयों से काम लेना उन्‍हें सबसे सुगम मालूम पड़ता है। सुगम है भी। साधारण-से-साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्‍छी तरह बैठी हुई कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक दे देना वाजिब है। बेचारा साधारण आदमी धर्म के तत्‍वों को क्‍या जाने? लकीर पीटते रहना ही वह अपना धर्म समझता है। उसकी इस अवस्‍था से चालाक लोग इस समय बहुत बेजा फाय

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय का साझा रिपोर्ट कार्ड

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 ल संसाधन मंत्राल 1.    जल संसाधन , नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने जल के क्षेत्र में कई चुनौतियों का पता लगाया है। इनमें से कुछ सृजित सिंचाई क्षमता और उपयोग की गयी सिंचाई क्षमता में अंतर को समाप्‍त करना , भूमि जल का अति-दोहन , बाढ़ प्रबंध , सूखे को रोकना , विवाद निपटारा , बांध सुरक्षा , विश्‍वसनीय आंकड़ा उपलब्‍धता , गिरती जल गुणवत्ता आदि हैं। जल संसाधन , नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2.    प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)     इस मंत्रालय की प्रमुख स्‍कीम है जिसे मिशन मोड में शुरू किया गया है। स्‍कीम प्राथमिकता वाली 99 परियोजनाओं में बांटी गयी है जिन्‍हें अलग-अलग समय-सीमाओं में पूरा किया जाना है। पूरी परियोजना पर कुल संभावित खर्च 77595 करोड़ रूपए होगा जिसमें केन्‍द्र का हिस्‍सा 31342 करोड़ रूपए होगा । समूची परियोजना के पूरा हो जाने के बाद 76.03 लाख हेक्‍टेयर सिंचाई क्षमता उपयोग किए जाने की संभावना है। महाराष्‍ट्र की गोसीखुर्द ( 2.5 लाख हेक्‍टेयर) जैसी रूकी हुई कई परियोजनाओं को व्‍यवस्थित करके उन्‍हें स