गंगा के लिए अनशनकारियों पर उत्तराखण्ड पुलिस का कहर, हत्या की आशंका जताई

ताजा खबर है कि हरिद्वार  की गंगा में अवैध खनन को लेकर उत्तराखण्ड सरकार ने अनशन पर बैठे  स्वामी  शिवानन्द और  ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के विरुद्ध पुलिस बल का प्रयोग किया है| मातृ सदन आश्रम के शिष्यों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने आश्रम में तोड़-फोड़ की कार्रवाई की और ज्यादती भी की है| शिष्यों को पुलिसिया कार्रवाई में  स्वामीजी की हत्या की भी आशंका है|  
गौरतलब है कि  मातृ सदन आश्रम भ्रष्टाचार और पर्यावरण की धांधलियों के लिए अदालत तक की कानूनी लड़ाई लड़ी है| स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद भी हरिद्वार के मातृ सदन मे अनशन कर चुके हैं| आश्रम द्वारा जारी किये गये एक बयान मे आरोप लगाया गया है कि सरकार ने वर्ष 2006 के पर्यावरणीय प्रभाव की रिपोर्ट की अवहेलना करके काम किया| इतना ही नहीं खनन करने के विरुद्ध तपस्यारत स्वामी निगमानंद सरस्वती जी की हत्या भी करवाई दी| बयान में आशंका जताई गयी है की सरकार मातृ सदन के दूसरे संतों की हत्या की साजिश कर रही है| आश्रम की वेबसाइट पर जारी किये गए बयान में मातृ सदन ने  अपील की है  कि लोग सत्ताधारी पार्टी के असलियत को समझें| आश्रम संचालकों ने दावा किया है कि खनन के खिलाफ अनशनकारियों के दमन में मुख्य मंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ साथ  राजस्व मंत्री  प्रकाश पन्त, मंत्री मदन कौशिक और विधायक यतीश्वरानंद की मिलीभगत  हैं | आश्रम द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि एक तरफ मा. उच्च न्यायालय ने गंगा नदी को जीवित प्राणी का दर्जा दिया है, वहीँ मुख्य सचिव एस. रामास्वामी , औद्योगिक सचिव शैलेश बगौली , निदेशक एवं अपर सचिव विनय शंकर पाण्डेय  गंगा नदी को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं|
वैज्ञानिक अध्ययन को आधार बना कर मातृ सदन ने दावा किया है कि गंगाजी में एक भी पत्थर और बोल्डर ऊपर से लुढ़ककर नहीं आता है| इस सम्बन्ध में केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की दो जांच रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए  कहा  है कि पत्थरों और बोल्डर की प्रतिपूर्ति असंभव है| यह भी बताया है कि 1998 में हुए खनन से बने गड्ढे अभी भी जैसे का तैसे ही है| इस सम्बन्ध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  ने 6 दिसंबर 2016 को प्रदूषण अधिनियम  के तहत निर्देश जारी किया कि गंगा के रायवाला से भोगपुर के बीच खनन बंद हो| साथ ही केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अवैध खनन रोकने और गंगा किनारे 5 किलोमीटर की दूरी तक संचालित स्टोन क्रेशरों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया था| 

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने भी आदेश दिया है| विदित हो कि सरकार ने  कोर्ट के आदेश  को दरकिनार कर खनन खोल दिया गया है| मातृ सदन ने मांग की है कि अवैध खनन की गतिविधियों को शह देने वाले अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए|  गंगा  में खनन बंद करने की मांग को लेकर  ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द विगत दो सप्ताह से अनशन पर हैं| वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिक विगत छब्बीस मई  को स्वामी शिवानन्द ने भी  निर्जल अनशन शुरू कर दिया  है|

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