कुशावर्त घाट (हर की पैड़ी) : बेच दी रानी की निशानी

एसएन चौधरी
इंदौर रियासत के होल्कर घराने की महारानी अहिल्याबाई होल्कर की हरिद्वार के पौराणिक कुशावर्त घाट स्थित निशानी ‘होल्कर बाडा’ को बेच दिया गया। यही नहीं, रानी की निशानी की देखरेख करने वाले मध्य प्रदेश सरकार के अधीन ट्रस्ट ने नागा संन्यासियों के आराध्य भगवान दत्तात्रैय की तपस्थली कुशावर्त घाट के चबूतरे का भी सौदा कर दिया। 2009 में ट्रस्ट की ओर से सचिव सतीश चंद्र मल्होत्रा ने निकेता सिखौला और अनिरुद्ध कुमार के नाम इन संपत्तियों का बैनामा कर दिया। रानी की अनमोल निशानी को बेचने के बाद नाम परिवर्तन के लिए नगर निगम हरिद्वार में आवेदन किया गया। नाम परिवर्तन के दौरान आई आपत्तियों को भी अधिकारियों की मिलीभगत से निरस्त कर दिया गया। नाम परिवर्तन की खबर लीक होने पर प्रशासन हरकत में आया और उसने नगर निगम के लेखाधिकारी को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों की टीम इसकी जांच कर रही है। जिला प्रशासन ने मध्य प्रदेश सरकार को भी इस मामले से अवगत करा दिया गया है।
ज्ञात हो कि भगवान शिव की अन्नय भक्त महारानी अहिल्याबाई ने करीब 250 साल पहले हरिद्वार यात्रा के दौरान पौराणिक कुशावर्त घाट के नजदीक होल्कर बाडा का निर्माण कराया था। बाडेÞ में महारानी अहिल्याबाई के शयनकक्ष, गंगा को निहारने के लिए बुर्ज और आंगन में पूजा के लिए मंदिर का निर्माण कराया था। साथ ही, रानी के साथ आने वाले दूसरे सहयोगियों के लिए भी कक्ष बनाए गए थे। इसके अलावा होल्कर बाड़े में गंगा की ओर पूर्व दिशा में घाट बनाया गया था, जिससे होकर गंगा गुजरती थी। यहीं रानी अहिल्याबाई गंगा-स्नान करती थीं। महारानी ने भगवान दत्तात्रैय की तपस्थली कुशावर्त घाट का भी जीर्णोद्धार कराया था। महारानी जब भी उत्तर भारत की धार्मिक यात्रा पर निकलती थीं, तो हरिद्वार के इसी होल्कर बाड़े में ठहरती थीं। महारानी अहिल्याबाई के बाद भी होल्कर वंश के दूसरे राजा हरिद्वार आते रहे हैं। लेकिन, आज इंदौर रियासत की महारानी की हरिद्वार में मौजूद निशानी का ही सौदा कर दिया गया। सौदा भी किसी और ने नहीं, होल्कर बाडेÞ और कुशावर्त घाट की देखरेख करने वाले खासगी देवी अहिल्याबाई होल्कर ट्रस्ट ने किया है। आजादी के बाद बना ट्रस्ट ही होल्कर बाड़े और कुशावर्त घाट की देखरेख की जिम्मेदारी निभाता आ रहा है। यह ट्रस्ट पूरी तरह से मध्य प्रदेश सरकार के अधीन है। मध्य प्रदेश सरकार के कमिश्नर स्तर के अधिकारी इसके ट्रस्टी रहते आए हैं।
हालांकि, महारानी के होल्कर बाड़े को खुर्द-बुर्द करने की शुरुआत अस्सी के दशक में ही शुरू हो गई थी। सबसे पहले ट्रस्ट के लोगों से मिलीभगत कर भू-माफिया ने होल्कर बाड़े की दीवारें तोड़ कर दुकानें बनवाना शुरू किया था। इसके बाद रानी के कमरों को भी किराये पर दे दिया गया। गैरकानूनी तरीके से किए गए निर्माण के कारण एक बार हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने दुकानों को सीज भी कर दिया था। लेकिन, बाद में एचडीए के अधिकारियों की जर्रानवाजी के कारण सील भी खुली और दुकानों का निर्माण भी पूरा हुआ। ट्रस्टियों की सहमति और अधिकारियों की चुप्पी ने भू-माफिया के हौसले इतने बुलंद किए कि उन्होंने पूरे होल्कर बाड़े और कुशावर्त घाट के चबूतरे को भी खरीद लिया। खासगी देवी अहिल्याबाई होल्कर ट्रस्ट के सचिव करमजीत सिंह राठौर ने एक अन्य ट्रस्टी सतीश चंद्र मल्होत्रा को पावर आॅफ अटार्नी दे दी। इसके आधार पर सतीश चंद्र मल्होत्रा ने वर्ष 2009 में हरिद्वार निवासी निकेता सिखौला, पत्नी राघवेंद्र सिखौला और अनिद्ध, पुत्र मनुराम सिखौला के नाम ट्रस्ट की संपत्ति का बैनामा कर दिया। हरिद्वार रजिस्ट्रार कार्यालय में इसकी संपत्ति से जुड़े कुल चार बैनामे कराए गए। बैनामा कराने के बाद खरीदार पक्ष की ओर से नगर निगम में नाम परिर्वतन का आवेदन किया गया। 2009 से लेकर अब तक नाम परिवर्तन की फाइल पड़ी रही। इस बीच नाम परिवर्तन को लेकर दो आपत्ति भी दर्ज की गई। इनमें वीएस पाल, पुत्र केएस पाल, निवासी- हरिद्वार सहित एक और आपत्ति थी। लेकिन, नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से आपत्तियों को  निरस्त दिखा दिया गया।
तीन साल से लगातार प्रयास कर रहे खरीदार की ओर से नाम परिवर्तन की कोशिशें विधानसभा चुनाव के बाद तुरंत परवान चढ़ने लगीं। सरकार गठन में चल रही कशमकश का फायदा उठाकर अधिकारियों ने फाइल दोबारा खोलकर नाम परिवर्तन करना शुरू कर दिया था। नाम परिवर्तन के दौरान लेनदेन को लेकर नगर निगम अधिकारी और कर्मचारियों में मनमुटाव हुआ, तो बात लीक हो गई। आनन-फानन में जिलाधिकारी ने दस्तावेज कब्जे में ले लिए और मजिस्टेÑटी जांच के आदेश कर दिए। इतना ही नहीं, नगर निगम के लेखाधिकारी बीएल आर्य को जिलाधिकारी डीएस पांडियन ने शहरी विकास निदेशालय के लिए एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया। साथ ही एसडीएम सदर हरवीर सिंह, एडीएम गिरधारी सिंह रावत और वरिष्ठ कोषाधिकारी जयपाल सिंह तोमर को पूरे मामले की जांच सौंप दी है। प्रशासन ने मध्य प्रदेश सरकार को भी इस मामले से अवगत करा दिया है। इस संबंध में एमपी सरकार को एक पत्र भी लिखा गया है।
नागा संन्यासियों में उबाल
अहिल्याबाई होल्कर ने शैव संप्रदाय से जुड़े नागा संन्यासियों के आराध्य भगवान दत्तात्रैय की तपस्थली   कुशावर्त घाट का भी जीर्णोद्धार कराया था। इसलिए आजादी के बाद बना अहिल्याबाई होल्कर ट्रस्ट ही कुशावर्त घाट की देखरेख करता आ रहा हैै। कुशावर्त घाट पर पुरोहित पिंडदान और पूजा-पाठ कराते हैं। शैव संप्रदाय से जुड़े जूना, अग्नि, आहवान, अटल, निरंजनी, महानिर्वाण और आनंद अखाड़े इसको लेकर संजीदा हो गए हैं। नागा संन्यासियों ने कुशावर्त घाट की संपत्ति बेचने के खिलाफ आंदोलन करने का ऐलान किया है। नागा संन्यासियों के सबसे बडेÞे जूना अखाड़े के महंत हरिगिर महाराज ने बताया कि भगवान दत्तात्रैय की तपस्थली से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर पुरोहित समाज में भी विरोध पनप रहा है। हरकी पैड़ी की देखरेख करने वाली पुरोहितों की संस्था श्रीगंगा सभा ने मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की है।
प्रतिक्रियाएं
मामले की जांच के आदेश कर दिए गए हैं। साथ ही लेखाधिकारी नगर निगम को कार्यमुक्त कर दिया गया है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
डीएस पांडियन, जिलाधिकारी, हरिद्वार
सभी दस्तावेज कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी गई है। बैनामे के अनुसार, मौका मुआयना कर लिया गया है। पैमाइश कराई जा रही है। साथ ही ट्रस्ट के संबंध में मध्य प्रदेश सरकार को भी लिखा जा रहा है। जांच पूरी होने तक खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई है।
हरवीर सिंह, एसडीएम, जांच टीम सदस्य।
कुशावर्त घाट और होल्कर बाड़े की खरीद-फरोख्त से पूरा हिंदू समाज आहत है। इसको लेकर लंबा आंदोलन चलाया जाएगा। प्रशासन को इसमें कड़ा रुख अपनाने की जरूरत है।
विरेंद्र कीर्तिपाल, जिला प्रमुख, वीएचपी
होल्कर समाज इसकी निंदा करता है और महारानी अहिल्याबाई की हरिद्वार में मौजूद निशानी को किसी कीमत पर बिकने नहीं देगा।
अमर सिंह पाल, सदस्य, होलकर समाज
साभार: humvatan.co.in

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